भारतीय मुद्रलिपियों के लिये विधिपत्र | ||
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पिछला | अ. ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमति पत्र | अगला |
इस अनुमति पत्र का मकसद है किसी निर्देश पत्र, पुस्तिका, या किसी अन्य लिखित दस्तावेज़ को "मुक्त" बनाना, आज़ादी के मायने में मुक्त: सार्वजनिक रूप से प्रतिलिपि बनाना, पुनर्वितरित करने की आज़ादी, परिवर्तित कर के या बिना परिवर्तित किये, व्यावसायिक तौर पर या अव्यावसायिक तौर पर। इसके अलावा, यह अनुमति पत्र लेखक और प्रकाशक का अपने काम का लिये श्रेय लेने के लिये और किसी अन्य द्वारा परिवर्तित करने पर उन्हें ज़िम्मेदार न रहने के लिये रास्ता कायम रखता है।
यह अनुमति पत्र एक प्रकार का "सर्वाधिकारमुक्ति", अर्थात्, जो दस्तावेज़ इस पर आधारित हैं, वे भी इसी प्रकार मुक्त होने चाहिये। यह ग्नू आम सार्वजनिक अनुमति पत्र का पूरक है, जो कि मुक्त तन्त्रांश के लिये परिकल्पित सर्वाधिकारमुक्ति अनुमति पत्र है।
हमने इस अनुमति पत्र की परिकल्पना इस हिसाब से की है कि यह मुक्त तन्त्रांश के निर्देश पत्रों के लिये इस्तेमाल किया जा सके, क्योंकि मुक्त तन्त्रांश के लिये मुक्त प्रलेखन भी चाहिये: मुक्त कार्यक्रम निर्देश पत्रों को भी वही स्वतन्त्रता प्रदान की जानी चाहिये जो मुक्त तन्त्रांश प्रदान करता है। लेकिन यह अनुमतिपत्र तन्त्रांश निर्देश पत्रों तक सीमित नहीं है; यह किसी भी लिखित कृति के लिये प्रयुक्त हो सकता है, चाहे विषय कोई भी हो, या चाहे वह छपी हुई पुस्तक के रूप में मुद्रित ही क्यों न हो। जिन कार्यों का मकसद सन्दर्भ या निर्देश हो, मुख्यतः उन्हीं के लिये हम इस अनुमति पत्र की सिफ़ारिश करते हैं।