भारतीय मुद्रलिपियों के लिये विधिपत्र | ||
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पिछला | अ. ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमतिपत्र | अगला |
उपरोक्त विभाग 2 और 3 के तहत आप दस्तावेज़ का परिवर्तित अनुरूप प्रतिलिपित और वितरित कर सकते हैं बशर्ते कि आप परिवर्तित अनुरूप को भी इसी अनुमति पत्र के तहत प्रकाशित करें, जिसमें दस्तावेज़ से अभिप्राय हो परिवर्तित अनुरूप, ताकि जिसके पास भी परिवर्तित अनुरूप उपलब्ध हो, वह परिवर्तित अनुरूप के परिवर्तन और वितरण का भी अधिकारी हो। साथ ही, परिवर्तित अनुरूप में आपको यह चीज़ें करनी होंगी:
A. शीर्षक पृष्ठ में (और यदि कोई आवरण हों तो उनमें भी) एेसे शीर्षक का इस्तेमाल हो जो दस्तावेज़के शीर्षक और पुराने अनुरूपों (यदि वे मौजूद हों तो दस्तावेज़ के इतिहास विभाग में उल्लेखित होने चाहिये) के शीर्षक से अलग हो। यदि मूल अनुरूप का प्रकाशक अनुमति देता है तो आप पिछले अनुरूप का शीर्षक प्रयोग में ला सकते हैं।
B. शीर्षक पृष्ठ पर बतौर लेखक उन लोगों या इकाइयों का नाम सूचित होना चाहिये जो परिवर्तित अनुरूप में परिवर्तनों के लेखन के लिये जिम्मेदार हैं, दस्तावेज़ के कम से कम पाँच मुख्य लेखकों नाम के साथ। (यदि मुख्य लेखकों की सङ्ख्या पाँच से कम है तो सभी मुख्य लेखकों का नाम होना चाहिये)
C. शीर्षक पृष्ठ पर परिवर्तित अनुरूप के प्रकाशक का नाम बतौर प्रकाशक सूचित करें।
D. दस्तावेज़ की सभी सर्वाधिकार सूचनायें जस की तस बरकरार रखें।
E. अन्य सर्वाधिकार सूचनाओं के निकट अपने परिवर्तनों के लिये एक उपयुक्त सर्वाधिकार सूचना जोड़ें।
F. सर्वाधिकार सूचनाओं के तुरन्त बाद एक अनुमति पत्र सूचिका शामिल करें जो कि जनता को इस अनुमति पत्र के अन्तर्गत परिवर्तित अनुरूप का प्रयोग करने की अनुमति देती हो, जिस प्रकार नीचे दिये परिशिष्ट में किया गया है।
G. दस्तावेज़ के अनुमति पत्र में उल्लिखित अपरिवर्तनीय वर्गों और वाञ्छित आवरण लेखों की सूची को अपने अनुमति सूचना में संरक्षित रखें।
H. इस अनुमति पत्र की एक अपरिवर्तित प्रति शामिल करें।
I. "इतिहास" नामक विभाग को और उसके शीर्षक को संरक्षित रखें, और इसमें एक और मसला डालें जिसमें परिवर्तित अनुरूप का कम से कम शीर्षक, वर्ष, नये लेखक व प्रकाशकों के नाम उल्लिखित हों, जिस प्रकार शीर्षक पृष्ठ में दिया गया हो। यदि दस्तावेज़ में "इतिहास" नाम का कोई विभाग न हो, तो शीर्षक पृष्ठ पर दी जानकारी के अनुसार यह विभाग बना लें, इसमें शीर्षक, वर्ष, लेखक व प्रकाशक का नाम होना चाहिये, इसके बाद पिछले वाक्य में वर्णित विधि के अनुसार परिवर्तित अनुरूप को भी वर्णित करें।
J. यदि दस्तावेज़ की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पारदर्शी प्रति की जाल पर स्थिति दस्तावेज़ में प्रदत्त हो तो इसे संरक्षित रखें, इसी प्रकार दस्तावेज़ के पुराने अनुरूपों का जाल पर पता भी संरक्षित रखें। यह पते "इतिहास" नामक विभाग में संरक्षित किये जा सकते हैं। यदि कोई कृति दस्तावेज़ से कम से कम चार साल पहले प्रकाशित हुई थी, या यदि मूल प्रकाशक इसकी अनुमति देते हैं तो आप उस कृति का जाल पर पता प्रकाशित करने के लिये बद्ध नहीं हैं।
K. "आभार" या "समर्पण" शीर्षक वाले विभागों के शीर्षक व मसला उसी प्रकार और उसी भावना से संरक्षित रखें जैसा की मूल दस्तावेज़ में है।
L. दस्तावेज़ के सभी अपरिवर्तनीय विभागों के शीर्षक और पाठ्य को अपरिवर्तित रखें। विभाग सङ्ख्याएँ व उसके समान अन्य विभाजक विभाग शीर्षक में नहीं गिने जाते।
M. जिन विभागों का नाम "अनुमोदन" हो, उन्हें हटा दें। एेसे विभाग परिवर्तित अनुरूप में शामिल नहीं किये जा सकते।
N. किसी मौजूदा विभाग का नाम बदल कर "अनुमोदन" न रखें न ही किसी विभाग का नाम बदलें जिससे कि उस नाम का किसी अपरिवर्तनीय विभाग के नाम जैसा हो।
यदि परिवर्तित अनुरूप नया आवरण मसला है या एेसे परिशिष्ट हैं जो कि गौण विभाग कहलाये जा सकते हैं, और जिनमें दस्तावेज़ से प्रतिलिपित कुछ भी मसला नहीं है, तो आप के पास उन विभागों को अपरिवर्तनीय नामित करने का विकल्प है। एेसा करने के लिये इन विभागों के शीर्षकों को परिवर्तित अनुरूप के अनुमति पत्र में अपरिवर्तनीय विभागों की सूची में डाल दें। यह शीर्षक अन्य विभागों के शीर्षकों से अलग होने चाहिये।
आप "अनुमोदन" नाम का विभाग जोड़ सकते हैं बशर्ते कि उसमें केवल विविध लोगों द्वारा परिवर्तित अनुरूप का अनुमोदन हो, जैसे, साथियों द्वारा समीक्षा, या कि यह पाठ्य किसी संस्था द्वारा किसी मानक की परिभाषा के लिये अधिकारिक पाठ्य है, एेसा व्यक्तव्य।
परिवर्तित अनुरूप में, आवरण पाठ्यों की सूची के अन्त में आप अग्र आवरण पाठ्य के तौर पर पाँच शब्द तक जोड़ सकते हैं, और पृष्ठ आवरण पाठ्य के तौर पर २५ शब्द तक जोड़ सकते हैं। एक व्यक्ति या समूह द्वारा(या उनके द्वारा किये इन्तजामों द्वारा) केवल एक ही अग्र आवरण पाठ्य और एक ही पृष्ठ आवरण पाठ्य जोड़ा जा सकता है। यदि दस्तावेज़ में उसी आवरण के लिये आपके द्वारा जोड़ा या आपके प्रतिनिधि द्वारा प्रबन्धित एक आवरण पाठ्य पहले ही मौजूद है तो आप एक और पाठ्य नहीं जोड़ सकते, लेकिन आप पुराने वाले को हटा के नया डाल सकते हैं, पुराने वाले पाठ्य के प्रकाशक से अनुमति लेने के बाद।
इस दस्तावेज़ के लेखक और प्रकाशक इस अनुमति पत्र के द्वारा परिवर्तित अनुरूप का अनुमोदन करने के लिये किसी भी प्रकार से उनके नाम का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देते।