ख़याल्:
[सबा = morning wind] [अह्ल्-ए क़फ़स् = prisoners]
[शमीम् = scent]
ऐ सबा! तेरी भी क्या ख़्व़ुश्-क़िस्मती है
आज़ाद् भी है, गुल् की ख़बर् भी रख्ती है!
अह्ल्-ए क़फ़स् जिस्की इक् झलक् तक् को॒ तरस् गए
शमीम् के॒ बहाने तू उस्को॒ छू जाती है ...
  तू उस्को॒ छू जाती है ...
[हस्रत् = desire] [इरादत् = wishes]
ज़ुल्फ़् बिख्रे ते॒रे तब् क़ियामत् हुई;
नौ-जवाँ हस्रतोँ की इरादत् हुई;
पर् करम् तेरे॒ सब् मह्र्बाँ घ़ैर् पर् ...
  शर्मिला! क्योँ तुम्ही से मुहब्बत् हुई ...
सच् जो॒ सम्झे यहाँ, वह् शरारत् हुई;
दिल् से॒ और् एक् हम् को शिकायत् हुई ...
  शर्मिला! क्योँ तुम्ही से मुहब्बत् हुई ...
[घ़ुर्बत् = state of being alien] [तन्हाई = solitude]
[सह्बत् = companionship] [ऽअक्स् = reflection, image]
पास् दिल् के जो॒ थे उन्की घ़ुर्बत् हुई;
अब् है॒ तन्हाई॒ से अप्नी॒ सह्बत् हुई;
बात् कर्ते हैँ॒ आज् अप्ने॒ ही अक्स् से ...
  शर्मिला! क्योँ तुम्ही से मुहब्बत् हुई ...
[नदामत् = repentance, shame]
कब् मुहब्बत् हमारी हक़ीक़त् हुई?
बात् पर् इस् हमेँ है नदामत् हुई ...
  शर्मिला ! क्योँ तुम्ही से मुहब्बत् हुई ...
क्योँ तुम्ही से मुहब्बत् हुई ...